बीते दिन आजमगढ़ जिले में जहरीली शराब पीने से कई लोंग मर गए। सच कहा जाए तो मारे गए। मरने वालों की संख्या अब तक 43 हो चुकी है। इसमें कोई रहीस नहीं मरा। क्यूंकि जहर का शिकार हमेशा गरीब होता है। जहर चाहे वो शराब में हो या महंगाई का हो। पिसता हमेशा गरीब है। देश की बात की जाए तो क्या कोई ऐसा कानून नहीं जो इस तरह की घटनाओं को रोक सके और अगर है तो इस तरह की घटनाऐं क्यूं। क्या उत्तम प्रदेश ऐसे ही बनेगा ? जहां इस तरह से गरीबों को मार दिया जाएगा और राज सिर्फ समाजवादी अमीरों का ही होगा ? मै इन शराब पीने वाले गरीबों को ज्यादा दोष इसलिए नहीं दे सकता क्यूं कि ये तो आजादी के बाद से ही शोषित हैं जिसका मन आया लूट गया इन्हें। जिसका मन आया लूट गया इनके घर की आबरू को। क्या करे ये तबका? गरीबी और लाचारी के दंश ने इन्हें आदी बना दिया लत का। और इसका फायदा उठाया सरकारों ने। अवैद्य रूप से शराब जैसे जहरीले पदार्थ को बनाने की खुली छूट देकर। कहते हैं जान से बढ़कर कोई संपत्ति नहीं लेकिन दुःख इस बात का है कि आज इसकी कोई कीमत नहीं।
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