aadarsh
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मन में हिचकिचाहट सी है
दिल में घबराहट सी है
कोई कहता है सच्चा है ये
तो कोई कहता बच्चा है ये
न जाने क्या असलियत है
क्या है मन के इस कोने में
डर की भी एक सीमा है
नजरों की भी असलियत है
चाह कर भी यह सच अपना नहीं
खुली आंख का तो सपना नहीं
सुना है सपनों की भी अपनी सच्चाई है
यहां अपनों के बीच ही वो पराई है
पल-पल का हिसाब रखता है दिल
पर पास लाने से डरता है दिल
क्या कहें मन तो कहने का करता है
सच यही कि —- “दिल डरता है”।
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