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माँ…….तुम कैसी हो…? मै तो अब इस दुनिया में नहीं कि तुम्हारा ख्याल रख सकूं………पर एक बात मै हमेशा ही सोचती हूं कि ……..पापा चुप हैं…..पर तुम तो माँ हो …..माँ तो अपने बच्चों के लिए सब कुछ न्योछावर करती है फिर ये खामोशी कैसी……….? माँ मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं…….क्योंकि जिसने जन्म दिया उससे कोई शिकवा कैसे हो सकती है……पर आज दुनिया माँ-बेटी के रिश्तों पर उँगली उठा रही है……आज सिर्फ यह एक परिवार की बात नहीं रह गई है…..बात तुम्हारी बेटी की इज्जत से जुड़ गई है…….और तुम चुप हो……? मुझे मरने का कोई दुःख नहीं है माँ……दुःख तो आपके चुप रहने का है…….हिम्मत करो माँ…और…सच दुनिया को बता दो….। एक सच को छिपाने में सौ झूठ का साथ मत दो माँ …..नही तो तुम्हारी बेटी को कभी शांति नहीं मिलेगी…..और अब यह सिर्फ तुम्हारे हाथ में है कि जिस बेटी के लिए तुम अपनी कई रातें न्योछावर करती थी….उसी की इज्जत का मोल आज मेरे जाने के बाद कुछ नही रहा……दुःख होता है माँ…अब भी देर नही हुई है माँ…..दुनिया को सब सच बता दो।
तुम्हारी बेटी
आरूषि
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