aadarsh
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कहतें है कि भगवान सबसे प्यार करता है, पर मै नहीं मानता कि भगवान सबसे प्यार करता है। क्योंकि ये वो प्यार नहीं जो किसी बाजार से खरीदा जाए, ये वो प्यार नहीं जो किसी खेत की फसल हो , इसका तो व्यापार भी नहीं होता । फिर ये कैसा प्यार है…..? …..ये प्यार तो सिर्फ वही पा सकता है जो अपना सिर उसके आगे बलिदान कर देता है…..फिर चाहे वह अमीर हो या गरीब…. उसके प्यार की छाया बन जाता है……और मै अपने काम को ही अपना भगवान मानता हूँ …..लेकिन मेरा दुर्भाग्य है कि अभी मेरा भगवान मुझसे रूठा हुआ है , शायद इसी वजह से मै अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहा।
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