aadarsh
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आपकी देखो भाषा ऐसी
हमको हूर्इ निराशा जैसी…
हम तो जाने माँ का आंचल
नहीं जानते हिंसा नक्सल…
जो पढ़ता-लिखता है बच्चा
उसका होता जीवन अच्छा …
गाँधी जी ने यही सिखाया
सच्चार्इ का पाठ पढ़ाया ….
आपसे नहीं थी आशा ऐसी
हमको हूर्इ निराशा जैसी ।
राहुल यादव
शास्त्रीनगर , कानपुर
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